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भारत खींच लाती है पूर्वजों की माटी

प्रस्‍थान
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मारीशस के राष्ट्रपति अनिरुद्ध जगन्नाथ के लिए भारत यात्रा का कोई भी अवसर पूर्वजों की माटी को नमन कर अपने अंत:करण में नई प्राणवायु भर लेने का सुअवसर होता है। शायद यही वजह है कि वह अपनी पत्नी सरोजिनी जगन्नाथ के साथ हर साल भारत आते हैं। किसी परीकथा सरीखी उनकी जिन्दगी में जहां अपने देश मारीशस की बेहतरी के लिए अथक प्रयासों का अध्याय दर्ज है, वहीं भारत की खुशहाली का सपना भी। वह कहते हैं-‘हमें मारीशस में यह सुनकर अपार खुशी होती है कि भारत एक आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है।’ इस बार उनके भारत प्रवास के कार्यक्रम में रामनगरी का दौरा भी शामिल था। उन्नीस नवम्बर की शाम से लेकर बीस नवम्बर की दोपहर तक वह फैजाबाद-अयोध्या में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होकर अपने पूर्वजों की माटी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते रहे। बीस नवम्बर की प्रात: अयोध्या के अशर्फी भवन में दर्शन-पूजन के बाद संस्कृत पढऩे वाले छात्रों के साथ बातचीत में भी भारतीय संस्कृति और उसकी परंपराओं के प्रति उनका गहरा अनुराग परिलक्षित हुआ। मंदिर की गौशाला का निरीक्षण करने के उपरांत उन्होंने मंदिर के महंत जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्रीधराचार्य के साथ अयोध्या की साधना परंपरा पर गहन विचार-विमर्श किया। फैजाबाद एयरपोर्ट पर एविएशन एकेडमी के उद्घाटन समारोह में उनके उद्गार न सिर्फ प्रेरक बल्कि भारत के प्रति कृतज्ञता के भाव से भरे थे। उन्होंने कहा-‘हमारे पूर्वज मजदूर के रूप में यहां से मारीशस ले जाए गये थे लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत से वहां की पथरीली भूमि को सोना बना दिया। अपनी सभ्यता व संस्कृति को भी धरोहर के रूप में इस तरह सहेजकर रखा कि भारत से जाने वाले लोग वहां पहुंचकर अपने घर जैसा ही महसूस करते हैं। भोजपुरी वहां न सिर्फ आम बोलचाल की भाषा है बल्कि स्कूलों में पढ़ाई भी जाती है। उनकी इस यात्रा के निमित्त बने फैजाबाद के उद्यमी आरपीएन सिंह बताते हैं कि श्री जगन्नाथ ने अस्सी के दशक में जब मारीशस के प्रधानमंत्री का पद संभाला था तो देश की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। अपनी दूरदर्शिता, नेतृत्व और आर्थिक नीतियों की बदौलत उन्होंने मारीशस का कायाकल्प कर दिया। मारीशस आज पर्यटन की दृष्टि से पूरी दुनिया के आकर्षण का केंद्र है। हालत यह है कि मारीशस में प्रति व्यक्ति आय भारत से दस गुनी ज्यादा और शिक्षा व चिकित्सा पूरी तरह नि:शुल्क है। वह बताते हैं कि उन्होंने भी श्री जगन्नाथ की प्रेरणा से ही वर्ष 1995 में वहां एक मेडिकल कालेज की स्थापना की, जो मारीशस के राष्ट्रपिता कहे जाने सर शिवसागर रामगुलाम के नाम पर है। कालेज में मारीशस व भारत समेत कई देशों के बच्चे पढ़ते हैं।

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