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अब कितनी बर्बादी का राहुल को है इंतजार

प्रस्‍थान
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हाल ही में कराए गए एक जनमत संग्रह में यह तथ्य उभरकर सामने आया है कि महंगाई और भ्रष्ट्राचार के कारण कांग्रेस के साथ-साथ प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की साख भी गिरी है। साथ ही यह तथ्य भी सामने आया है कि यूपीए की तरफ से प्रधानमंत्री पद के लिए राहुल गांधी जनता की पहली पसंद हैं। अब यदि दोनों तथ्यों को एक साथ जोड़कर देखा जाय तो डॉ. मनमोहन सिंह का प्रधानमंत्री पद पर बने रहना और राहुल गांधी का प्रधानमंत्री पद स्वीकार न करना पार्टी और देश दोनों के लिए नुकसानदायक है। आश्चर्यजनक ही है कि अभूतपूर्व घोटालों के कारण विश्वसनीयता के जबरदस्त संकट के दौर से गुजर रही यूपीए सरकार का ‘मुख’  और ‘मुखौटा’  होते हुए भी राहुल गांधी बेदाग माने जा रहे हैं। पार्टी के महासचिव की हैसियत से भी इतर पार्टी के स्टार प्रचारक की छवि बना लेने के बाद भी यदि राहुल गांधी को यूपीए सरकार की स्याह तस्वीर के लिए तनिक भी जिम्मेदार नहीं माना जा रहा है तो इसके राजनीतिक विश्लेषण के लिए नए औजार की तलाश की जानी चाहिए। कामनवेल्थ घोटाले में पहले सुरेश कलमाडी का बचाव फिर सीबीआई के माध्यम से उनकी गिरफ्तारी या टूजी घोटाले में पहले ए राजा का बचाव और फिर सीबीआई के माध्यम से उनकी गिरफ्तारी का घटनाक्रम इस बात का गवाह है कि इस देश का प्रधानमंत्री या तो अक्षम है या फिर किसी अज्ञात वजह से अक्षम बना हुआ है। इन दोनों मामलों में प्रधानमंत्री जैसे पद पर आसीन व्यक्ति के स्तर से हुई चूक माफ करने योग्य नहीं है। फिर यहीं राहुल गांधी की भूमिका पर भी सवाल उठता है। वह इस सरकार की अगुवाई करने वाली पार्टी के दूसरे सबसे प्रभावशाली व्यक्ति हैं लेकिन उन्होंने कभी भी इन ज्वलंत मुद्दों पर सार्थक व प्रभावी हस्तक्षेप नहीं किया। वह देश के गैर कांग्रेस शासित राज्यों की कमियां ढूंढने और वहां कांग्रेस को वापस लाने में ज्यादा रुचि लेते दिखाई देते हैं।
ऐसे में राहुल गांधी से यह सवाल भी लाजिमी है कि वह किस हद तक बर्बादी का इंतजार कर रहे हैं? शुक्रवार को एक टीवी चैनल पर उन्हीं की पार्टी के एक नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी तर्क दे रहे थे कि राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनना होगा तो पूरे पांच साल के लिए बनेंगे। वैसे अब यह जनता को तय करना है कि लगातार अक्षम साबित हो रहे एक प्रधानमंत्री के कार्यकाल में घोटालों का रिकार्ड बनाती जा रही कांग्रेस को राहुल गांधी के नेतृत्व में सरकार बनाने के लिए बहुमत देना चाहेगी या नहीं?

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